छाया-वाद

छाया-वाद के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

छाया-वाद के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आधुनिक कविता का एक प्रकार

Noun, Masculine

  • romanticismn

छाया-वाद के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a romantic movement in early modern Hindi poetry

छाया-वाद के हिंदी अर्थ

छायावाद

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आधुनिक साहित्य में आत्म अभिव्यक्ति का वह नया ढंग या उससे संबंध रखने वाला सिद्धांत जिसके अनुसार किसी सौंदर्यमय प्रतीक की कल्पना करके ध्वनि, लक्षणा आदि के द्वारा उसके संबंध में अपनी अनुभूति या आंतरिक भाव प्रकट किए जाते हैं, आधुनिक हिंदी की एक काव्यगत शैली

    विशेष
    . सन् 1918 ईसवी के आस-पास द्विवदी युग की काव्यधारा के बीच रीतिकालीन काव्य-प्रवृत्तियों के विरोध में इस नवीन काव्यधारा का जन्म हुआ। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के मतानुसार पुराने ईसाई संतों के छायाभास (फैटज्मैंटा) तथा यूरोपी काव्य क्षेत्र में प्रवर्तित आध्यात्मिक प्रतीकवाद (सिंबालिज्म) के अनुकरण पर रची जाने के कारण बंगाल में ऐसी कविताएँ 'छायावाद' कही जाने लगीं। इस धारा का हिंदी काव्य अँग्रेजी के रोमांटिक कवियों तथा बँगला के रवींद्र काव्य से प्रभावित था। अतः हिंदी में भी इस नई काव्यधारा के लिए 'छायावाद' नाम प्रचलित हो गया। इस धारा के प्रमुख कवि प्रसाद, निराला और पंत आदि माने जाते हैं। बाद में स्वच्छंदतावाद का नाम भी अनेक हिंदी आलोचकों ने दिया।

  • (साहित्य) वह सिद्धांत जिसके अनुसार अव्यक्त और अज्ञात को विषय या लक्ष्य बनाकर उसके प्रति प्रणय, विरह आदि के भाव प्रकट करते हैं

छाया-वाद के ब्रज अर्थ

छायावाद

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आधुनिक साहित्य में आत्माभिव्यक्ति का एक ढंग

छायावाद के तुकांत शब्द

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