दंडी

दंडी के अर्थ :

दंडी के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह जो दंड धारण करता हो, संन्यासी।

दंडी के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • दंड धारण करने वाला व्यक्ति

    उदाहरण
    . हमारे गाँव में एक सिद्ध दंडी पधारे हैं।

  • यमराज
  • राजा
  • द्वारपाल
  • वह संन्यासी जो दंड और कमंडलु धारण करे

    विशेष
    . ब्राह्मण के अतिरिक्त और किसी को दंडी होने का अधिकार नहीं है। यद्यापि पिता, माता, स्त्री, पुत्र आदि के रहते भी दंड लेने का निषेध है, तथापि लोग ऐसा करते हैं। मंत्र देने के पहले गुरु शिष्य होने वाले के सब संस्कार (अन्न- प्राशन आदि) फिर से करते हैं। उसकी शिखा मूँड़ दी जाती है और जनेऊ उतारकर भस्म कर दिया जाता है। पहला नाम भी बदल दिया जाता है। इसके उपरांत दशाक्षर मंत्र देकर गुरु गेरुवा वस्त्र और दंड कमंडलु देते हैं । इन सबको गुरु से प्राप्त कर शिष्य दंडी हो जाता है और जीवनपर्यत कुछ नियमों का पालन करता है। दंडी लोग गेरुआ वस्त्र पहनते हैं, सिर मुड़ाए रहते हैं और कभी कभी भस्म और रुद्राक्ष भी धारण करते हैं। दंडी लोग अग्नि और धातु का स्पर्श नहीं करते, इनसे अपने हाथ से रसोई नहीं बना सकते। किसी ब्राह्मण के घर से पका भोजन माँगकर खा सकते हैं। दंडियों के लियो दो बार भोजन करने का निषेध है। इन सब नियमों का बाराह वर्ष तक पालन करके अंत में दंड को जल में फेंककर दंडी परमहंस आश्रय को प्राप्त करता है। दंडियों के लिए निर्गुण ब्रह्म की उपासना की व्यवस्था है। जिनसे यह उपसना न हो सके वे शिव आदि की उपासना कर सकते हैं। मरने पर दंडियो के शव का दाह नहीं होता या तो शव मिट्टी में गाड़ दिया जाता है या नदी में फेंक दिया जाता है। काशी में बहुत से दंडी दिखाई पड़ते हैं।

  • सूर्य के एक पार्श्वचर का नाम
  • जिन देव
  • धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम
  • दमनक वृक्ष, दौने का पौधा
  • मंजुश्री
  • शिव, महादेव
  • नाविक, केवट
  • संस्कृत के प्रसिद्ध कवि जिनके बनाए हुए दा ग्रंथ मिलते है 'दशकुमाररचित' और 'काव्यादर्श', ऐसा प्रसिद्ध है कि दंडी ने तीन ग्रंथ लिखे थे दशकुमारचरित (गद्यकाव्य) काव्यदर्श (लक्षण ग्रंथ) और अवंतिसुंदरी कथा, पर तीसरे का पता बहुत दिनों तक नहीं लगा था, इधर उक्त ग्रंथ प्राप्त हो गया है और प्रकाशित भी है, अनेक लोगों का मत है कि ईसा की छठी शताब्दी में दंडी हुए थे 'शंकरदिग्विजय में 'वाणयमयूरदंडि मुख्यान्' से ज्ञात होता है कि ये वाण और मयूर के समकालीन थे, इतना तो निश्चय है कि ये कालिदास और शूद्रक आदि के पीछे के हैं, इनकी वाक्य- रचना आडंबरपूर्ण है।

दंडी के अंगिका अर्थ

दण्डी

संज्ञा, पुल्लिंग

  • हिन्दुओं का एक उपासक सम्प्रदाय ये लोग दंड कमण्डलु लिये इधर उधर घूमते हैं

दंडी के मगही अर्थ

अरबी ; संज्ञा

  • (दंडन) उपासक संप्रदाय के संत जो दंड और कमंडल धारण किए रहते हैं, दंडी स्वामी

दंडी के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • संन्यासीक एक प्रभेद
  • तराजुक डण्टी

Noun

  • a mendicant.
  • beam of balance.

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