dhau meaning in garhwali
धौ' के गढ़वाली अर्थ
- तृप्ति, सन्तुष्टि, लक्ष्य की पूर्ति
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- तृप्ति, संतोष, तसल्ली
- satisfaction, contentment.
Noun, Feminine
- contentment, satisfaction.
धौ' के हिंदी अर्थ
धौ
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक ऊँचा झाड़ या सदाबाहार पेड़ जो हिमालय पर 5000 फुट की ऊँचाई तक होता है और भारतवर्ष में प्राय: सर्वत्र जंगलों में मिलता है
विशेष
. इसकी पत्तियाँ अमरूद की पत्तियों से मिलती जुलती होती हैं और छाल सफेद होती है जो चमड़ा सिझाने के काम में आती है । इसके फूल को रंगसाज आल के रंग में मिलाकर लाल रंग बनाते हैं । इससे एक प्रकार का गोंद निकलता है जिसे छीपी रंगों में मिलाकर कपड़ा छापते हैं । लकड़ी इसकी सफेद होती है और हल, मूसल, कुल्हाड़ी का बेट आदि बनाने के काम में आती है । इसका प्रयोग औषध में भी होता है और वैद्यक में यह चरपरा, कसैला, कफ—वात— नाशक, रुचिकारक और दीपन बतलाया गया है । वैद्य लोंग इसका प्रयोग पांडुरोग, प्रमेह, अर्श और वात रोग में करते हैं ।उदाहरण
. धौ की लकड़ी भी उपयोगी होती है । . धौ हिमालय पर पाँच हजार फुट की ऊँचाई तक होता है।
धौ' के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएधौ के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिएधौ' के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएधौ' के कुमाउँनी अर्थ
धौ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- इच्छापूर्ति, मन भरना, (अ०)-बड़ी कठिनाई से-'धो आयू'- मुश्किल से आया, 'धौ-धौ कनै करण'- अत्यन्त कठिनाई से करना
धौ' के बुंदेली अर्थ
धौ
संज्ञा, पुल्लिंग
- ऊपर से काफी चिकनी लकड़ी वाला एक वृक्ष
धौ' के मगही अर्थ
धौ
अरबी ; संज्ञा
- औषधीय गुण वाला एक जंगली पेड़
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