हेत्वाभास

हेत्वाभास के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

हेत्वाभास के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • न्याय में किसी बात को सिद्ध करने के लिए उपस्थित किया हुआ वह कारण जो कारण सा प्रतीत होता हुआ भी ठीक कारण न हो, जो हेतु के लक्षणों से रहित हो पर हेतु की तरह लगता हो, असत् हेतु, हेतुदोष, कुतर्क

    विशेष
    . सव्यभिचार, विरुद्ध, प्रकरणसम, साध्यसम और काला- तीत भेद से हेत्वाभास पाँच प्रकार का कहा गया है—(1) जो हेतु और दूसरी बात भी उसी प्रकार सिद्ध करे अर्थात् ऐकांतिक न हो, वह 'सव्यभिचार' कहलाता है । जैसे—शब्द नित्य है क्योंकि वह अमूर्त है; जैसे—परमाणु। यहाँ अमूर्त होना जो भेद दिया गया है, वह बुद्धि का उदाहरण लेने से शब्द को अनित्य भी सिद्ध करता है। (2) जो हेतु प्रतिज्ञा के ही विरुद्ध पड़े वह 'विरुद्ध' कहलाता है। जैसे— घट उत्पत्ति धर्मवाला है, क्योंकि वह नित्य है। (3) जिस हेतु में जिज्ञास्य विषय (प्रश्न) ज्यों का त्यों बना रहता है, वह 'प्रकरणसम' कहलाता है। जैसे—शब्द अनित्य है; उसमें नित्यता नहीं है। (4) जिस हेतु को साध्य के समान ही सिद्ध करने की आवश्यकता हो, उसे 'साध्यसम' कहते हैं। जैसे,—छाया द्रव्य है क्योंकि उसमें गति है। यहाँ छाया में स्वतः गति है, इसे साबित करने की आवश्यकता है। (5) यदि हेतु ऐसा दिया जाय जो कालक्रम के विचार से साध्य पर न घटे, तो वह 'कालातीत' कहलाता है। जैसे—शब्द नित्य है, क्योंकि उसकी अभिव्यक्ति संयोग से होती है। जैसे— घट के रूप की। यहाँ घट का रूप दीपक के संयोग के पहले भी था, पर ढोल का शब्द लकड़ी के संयोग के पहले नहीं था।

    उदाहरण
    . जब जग हेत्वाभास मात्र है, तब फिर मेरा सपना। क्यों न रहे मेरे जीवन में होकर मेरा अपना।

हेत्वाभास के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a fallacy
  • sophism

हेत्वाभास के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • निराधार तर्क

Noun, Masculine

  • lame reasoning

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