ई के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ई के मैथिली अर्थ

  • वर्णमालाक चारिम अक्षर

सर्वनाम

  • निकट-निर्देशक अन्यपुरुष सर्वनाम
  • 4th letter of alphahat.

Pronoun

  • this, it, he, she.

ई के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun

  • the fourth vowel and the fourth letter of the Devna:gri: alphabet

ई के हिंदी अर्थ

संज्ञा

  • हिंदी वर्णमाला का चौथा, यह यथार्थ में 'इ' का दीर्घ रूप है, इसकी उच्चारण का स्थान तालु है, इसको प्रत्यय की भाँति कुछ शब्दों में लगाकर संज्ञा और विशेषण, स्त्रीलिंग, क्रिया स्त्रीलिंग तथा भाववाचक संज्ञा आदि बानाते हैं, जैसे— घोड़ा से घोड़ी, अच्छा से अच्छी, गया से गई, स्याह से स्याही, क्रोध से क्रोधी, आदी
  • हिंदी वर्णमाला का चौथा स्वर वर्ण जिसे इ का दीर्घ रूप माना जाता है

    उदाहरण
    . ई का प्रत्यय के रूप में प्रयोग कर भाववाचक संज्ञा, विशेषण, स्त्रीलिंग आदि बनाते हैं ।


संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • लक्ष्मी
  • धन की अधिष्ठात्री देवी जो विष्णु की पत्नी कही गई हैं

सर्वनाम

  • यह

    उदाहरण
    . कहहिं॰ कबीर पुकारि कै ई लेऊ व्यवहार । एक राम नाम जाने बिना भव बूड़ि मुआ संसार । — कबीर (शब्द॰) । . विरल रसिक जन ई रस जान । — विद्यापति॰, पृ॰ ३०८ ।


अव्यय

  • जोर देने का शब्द, ही

    उदाहरण
    . पत्रा ही तिथि पाइए वा घर के चहुँ पास । नित प्रति पून्यो ई रहै आनन ओप उजास ।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • कामदेव

ई के अंगिका अर्थ

  • ई अंगिका भाषा रॉ संवृत अग्र निम्न दीर्घ उच्च स्वर छेकय । हेकरों उच्चारण में जिह्वा तनटा जादे भीत्तर दनै खिसकी जाय छै । ठोर भी तनटा जादे बिथरी जाय छै

ई के अवधी अर्थ

  • यह

ई के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का चौथा (स्वर) वर्ण, 'इ' का दीर्घ रूप

ई के कुमाउँनी अर्थ

सर्वनाम

  • ओई (ओ माँ) माँ के लिए सम्बोधन, पुकारने में ओई कहा जाता है, नेपाली में-अवहेलना अथवा झुंझलाहट आदि मन का भाव प्रकट करने के लिए

ई के गढ़वाली अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर वर्ण

क्रिया-विशेषण

  • यहीं पर, इसी स्थान पर
  • the fourth vowel of the Devanagari alphabet.

Adverb

  • here itself.

ई के बघेली अर्थ

सर्वनाम

  • यें यह, अमुक , (आदर सूचक)
  • यह, अमुक ,(अनादर सूचक)

ई के बज्जिका अर्थ

सर्वनाम

  • यह (निकटवर्ती

ई के बुंदेली अर्थ

  • हिन्दी वर्णमाला दे.ना.लि. का चौथा स्वर वर्ण, इस का उच्चारण स्थान तालु है,

    उदाहरण
    . प्र. बलवाची प्रत्यय, बुन्देली के मध्य तथा पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में प्रयुक्त होता है, क्षेत्रों में (ऊ) का प्रयोग होता है, यह । अव्यय ही है।

ई के ब्रज अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर- वर्ण, जो 'इ' का दीर्घ रूप है
  • प्रत्यय-ई प्रायः संज्ञा स्त्रीलिंग, क्रिया स्त्रीलिंग तथा भाववाचक संज्ञा बनाता है, यथा बच्चा से बच्ची, बुरा से बुरी, आया से आई, क्रोध से क्रोधी

स्त्रीलिंग

  • लक्ष्मी
  • शद्र की स्त्री

सर्वनाम

  • यह (निकट का संकेत)

सर्वनाम

  • ही, किसी शब्द या बात पर जोर देने का शब्द

    उदाहरण
    . नैननि साध ई जु रही।

ई के मगही अर्थ

सर्वनाम

  • यह यह (वस्तु, बात या स्थिति)

ई के मालवी अर्थ

सर्वनाम

  • ये सब

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