kaa.nvari meaning in braj
काँवरि के ब्रज अर्थ
- बहंगी , बाँस के दोनों सिरों पर वस्तु लादने के लिए छीकों से या कंडियों से युक्त साधन
काँवरि के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
'काँवर'
उदाहरण
. कोटिन काँवरि चले कहारा । विविध वस्तु को बरनइ पारा । — तुलसी (शब्द॰) । . सहस शकट भरि कमल चलाए । अपनी समसरि और गोप जो तिनको साथ पठाए । और बहुत काँवरि माखन दधि अहिरन काँधै जोरी । बहुत बिनती मोरी कहिये और धरे जलजामल तोरी । . श्रवन श्रवन करि ररि मुई माता काँवरि लागि । तुम बिनु पानि न पावइ दशरथ लावै आगि । — जायसी (शब्द॰) ।
काँवरि के अवधी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- बहँगी, जिसके दोनों ओर मनुष्य बैठाये जायँ जैसा श्रवण ने किया था
काँवरि के कन्नौजी अर्थ
- बहँगी. 2. वह डंडा जिसके दोनों छोरों पर टोकरियाँ बाँधते हैं और उनमें गंगाजल आदि रखकर तीर्थयात्री ले जाते हैं, कभी-कभी अन्य सामान ढोने के काम में भी आती है
काँवरि के तुकांत शब्द
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