मचकुन्द

मचकुन्द के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

मचकुन्द के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक वृक्ष जो वंसत में फूलता है इसके फूलों की पंखुड़ियाँ मोटी होती है, पानी के साथ पीसकर सिरदर्द की दवा बनती है

मचकुन्द के हिंदी अर्थ

मुचकुंद, मुचुकुंद

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बड़ा पेड़ जिसके फूल और छाल दवा के काम आते हैं, हरिवल्लभ, दीर्घपुष्प

    विशेष
    . इसके पत्तों, फल से के पत्तों के आकार के और बड़े-बड़े होते हैं। पत्तों में महीन महीन रोई होती हैं जिससे वे छूने में खुरदरे लगते हैं। फूल में पाँच छह अंगुल लंबे और एक अंगुल के लगभग चौड़े सफ़ेद दल होते हैं। दलों मध्य से सूत के समान कई केसर निकले होते हैं। दलों के नीचे का कोश बहुत लंबा होता है। फूल को सुगंध बहुत ही मीठी और मनोहर होती है। ये फूल सिर के दर्द में बहुत लाभकारी होती हैं। इसके फल कटहल के प्रारंभिक फलों के समान लंबे-लंबे और पत्थर की तरह कड़े होते हैं। इसके फूल और छाल औषध के काम में आती है। वैद्यक में यह चरपरा, गरम, कडुवा, स्वर को मधुर करने वाला तथा कफ, खाँसी, त्वचा के विकार, सूजन, सिर का दर्द, त्रदोष, रत्कपित्त और रुधिर-विकार को दूर करने वाला माना गया है।

    उदाहरण
    . मुचुकुंद की छाल और फूल दवा के काम आते हैं।

  • मांधाता के एक पुत्र जिनकी नेत्राग्नि से कालयवन भस्म हो गया था और जिसने असुरों से युद्ध करके देवताओं से बहुत दिनों तक सोने का वर प्राप्त किया था

    उदाहरण
    . मुचुकुंद का वर्णन भागवत में मिलता है ।

मचकुन्द के ब्रज अर्थ

मुचकुंद, मुचुकुंद

पुल्लिंग

  • पुष्प विशेष

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