pashubhaav meaning in hindi

पशुभाव

पशुभाव के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

पशुभाव के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पशुत्व, जानवरपन, हैवानपन
  • तंत्र में मंत्र साधन के तीन प्रकारों में से एक

    विशेष
    . साधक लोग तीन भाव से मंत्र का साधन करते हैं— दिव्य, वीर और पशु। इनमें से प्रथम दो भाव उत्तम और पशुभाव निकृष्ट माना जाता है। जो लोग तंत्र के सब विधानों का (घृणा, आचार विचार, आदि के कारण) पूरा पूरा पालन नहीं कर सकते उनका साधन पशुभाव से समझा जाता है। तांत्रिकों के अनुसार वैष्णव पशुभाव से नारायण की उपासना करते हैं क्योंकि वे मद्य-मांस आदि का संपर्क नहीं रखते। कुब्जिका तंत्र में लिखा है कि जो रात को यंत्रस्पर्श और मंत्र का जप नहीं करते, जिन्हें बलिदान में संशय, तंत्र में संदेह और मंत्र में अक्षरबुद्धि (अर्थात् ये अक्षर हैं इनसे क्या होगा) और प्रतिमा में शिलाज्ञान रहता है, जो देवता की पूजा बिना मांस के करते हैं, जो बार-बार नहाया करते हैं उन्हें पशुभावावालंबी और अधम समझना चाहिए।

पशुभाव के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • beastliness, savagery

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