षड्ज

षड्ज के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

षड्ज के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संगीत के सात स्वरों में से चौथा स्वर

    विशेष
    . यह गदहे के स्वर से मिलता जुलता माना गया है । इसके उच्चारणस्थान छह् कहे गए हैं—नासा, कंठ, उर, तालु, जिह्ना और दंत; इसी से इसका नाम षड्ज पड़ा । मूल स्थान दंत और अंत स्थान कंठ है । देवता इसके अग्नि हैं । वर्ण रक्त, आकृति ब्रह्मा की, ऋतु हिम, वार रविवार, छंद अनुष्टुप् और संतति इसकी भैरव राग है । कुछ के मतानुसार यह प्रथम स्वर है और मोर के स्वर से मिलता जुलता है ।

षड्ज के यौगिक शब्द

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षड्ज के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • सङ्गीतक सात स्वरमे पहिल, जकर सङ्केत 'स' थिक

Noun

  • the first (lovest) note of gamut.

षड्ज के तुकांत शब्द

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