स्वयंवर

स्वयंवर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

स्वयंवर के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह विवाह जिसमें कन्या अपने लिए वर को स्वयं पसंद करती थी, आठ प्रकार के विवाहों में से यह भी विवाह का एक प्रकार है

    उदाहरण
    . तोरि वनुष मुख मोरि नृपनि कों सीय स्वयंवर।

स्वयंवर के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • lit. self-choice an ancient custom wherein a bride chose her husband of her own accord, selection by a bride of her husband from amongst a galaxy of suitors
  • ॰सभा the assembly where a स्वयंवर takes place

स्वयंवर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध विधान या प्रथा जिसमें विवाह योग्य कन्या कुछ उपस्थित व्यक्तियों में से अपने लिए स्वयं वर चुनती थी

    विशेष
    . प्राचीन काल में भारतीय आर्यों, विशेषतः क्षत्रियों या राजाओं में यह प्रथा थी कि जब कन्या विवाह योग्य हो जाती थी, तब उसकी सूचना उपयुक्त व्यक्तियों के पास भेज दी जाती थी, जो एक निश्चित समय और स्थान पर आकर एकत्र होते थे। उस समय वह कन्या उन उपस्थित व्यक्तियों में से जिसे अपने लिए उपयुक्त समझती थी, उसके गले में वरमाल या जयमाल डाल देती थी; और तब उसी के साथ उसका विवाह होता था। कभी-कभी कन्या के पिता की ओर से, बलपरीक्षा के लिए, कोई शर्त भी लगा दी जाती थी; और वह शर्त पूरी करने वाला ही कन्या के लिए उपयुक्त पात्र समझा जाता था। सीता जी और द्रौपदी का विवाह इसी प्रथा के अनुसार हुआ था।

    उदाहरण
    . मारि ताड़का यज्ञ करायो विश्वामित्र आनंद भयो। सीय स्वयंवर जानि सूर प्रभु को ऋषि लै ता ठौर गयो। . जनक विदेह कियो जु स्वयंवर बहु नृप विप्र बोलाए। तोरन धनुष देव त्र्यंबक को काहू यतन न पाए। . सीय स्वयंवर कथा सुहाई। सरित सुहावनि सो छबि छाई।

  • वह स्थान, सभा या उत्सव जहाँ लोगों को स्वयंवर के लिए एकत्र किया जाय और कन्या स्वेच्छा से वर चुने, लड़की के लिए अपनी पसंद का पति चुनने हेतु आयोजित समारोह, पति चयन संबंधी उत्सव
  • स्वयं वरण करना, स्वयं चुनना
  • प्रेम विवाह

स्वयंवर के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • विवाह की एक प्राचीन रीति जिसमें कन्या स्वयं वर चुनती थी
  • मैथिली साहित्य में स्वयंवर का चित्रण करने वाली काव्य की एक विधा

Noun, Masculine

  • a form of marriage in which girl herself picks up a match of her own choice
  • a type of narrative poem in Maithili depicting Svayamber

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