varruchi meaning in hindi
वररुचि के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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एक अत्यंत प्राचीन पंडित, वैयाकरण और कवि
विशेष
. अष्टाध्यायीवृत्ति, प्राकृत प्रकाश, लिंगानुशासन, राक्षस काव्य आदि अनेक ग्रंथ इनके नाम से प्रसिद्ध हैं; पर सब इनके नहीं बनाए हैं। इनका प्राकृत का व्याकरण 'प्राकृत प्रकाश' बहुत प्राचीन और प्रामाणिक माना जाता है। ये कब हुए, इसका ठीक-ठीक निश्चय विद्वानों को अभी नहीं हुआ है। कथा सरित्सागर में ये पाणिनि के सहाध्यायी और प्रतिद्वंद्वी कहे गए हैं; पर यह कल्पना मात्र है। उसी ग्रथ में वररुचि और कात्यायन एक हो गए हैं; पर यह भी ठीक नहीं है। इसी प्रकार ज्योतिर्विदाभरण का नवरत्न वाला वह श्लोक भी, जिसमें वर-रुचि का नाम है, कपोलकल्पना मात्र है। 'प्राकृत प्रकाश' की भूमिका में कावेल साहब ने वररुचि को ईसा की पहली शताब्दी का ठहराया है; और कोई कोई इन्हें चंद्रगुप्त मौर्य से भी पहले ईसा से 400 वर्ष पूर्व का मानते हैं। फिर भी ये पतंजलि (ई॰ पू॰ 157) से एक-दो शती पूर्ववर्ती थे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
वररुचि के तुकांत शब्द
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