व्यायोग

व्यायोग के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

व्यायोग के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • (साहित्य) दस प्रकार के रूपकों में से एक प्रकार का रूपक या दृश्य काव्य, एक ही अंक का वीर रस प्रधान रूपक

    विशेष
    . इसकी कथावस्तु किसी ऐसे ग्रंथ से ली जानी चाहिए, जिससे सब लोग भली-भाँति परिचित हों। इसके पात्रों में स्त्रियाँ कम और पुरुष अधिक होते हैं। व्यायोग में स्त्री के कारण युद्ध नहीं होता और इसमें गर्भ और विमर्ष संधि नहीं होती। इसमें एक ही अंक रहता है और कैशिकी वृत्ति का व्यवहार नहीं होता है। इसका नायक कोई प्रसिद्ब राजर्षि, दिव्य और धीरोदात्त होना चाहिए। इसमें शृगार, हास्य और शांत के सिवा और सब रसों का वर्णन होता है। जैसे, भास कवि का मध्यम व्यायोग।

व्यायोग के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का नाटक

Noun, Masculine

  • a type of drama

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