ज्योतिष

ज्योतिष के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ज्योतिष के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • खगोल विद्या, ग्रह-नक्षत्र आदि का ज्ञान, ज्योतिष विद्या, आकाशी पिण्डों की गति की विद्या

ज्योतिष के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • Astrology

ज्योतिष के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह विद्या जिससे अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की परस्पर दूरी, गति, परिमाण आदि का निश्चय किया जाता है

    विशेष
    . भारतीय आर्यों में ज्योतिष विद्या का ज्ञान अत्यंत प्राचीन काल से था। यज्ञों की तिथि आदि निश्चित करने में इस विद्या का प्रयोजन पड़ता था। अयन चलन के क्रग का पता बराबर वैदिक ग्रंथों में मिलता है। जैसे, पुनर्वसु से मृगशिरा (ऋगवेद), मृगशिरा से रोहिणी (ऐतरेय ब्राह्मण), रोहिणी से कृत्तिका (तैत्तरिय संहिता), कृत्तिका से भरणी (वेदांग ज्योतिष)। तैत्तरिय संहिता से पता चलता है कि प्राचीन काल में वासंत विषुवद्दिन कृत्तिका नक्षत्र में पड़ता था। इसी वासंत विषुवद्दिन से वैदिक वर्ष का आरंभ माना जाता था, पर अयन की गणना माघ मास से होती थी। इसके पीछे वर्ष की गणना शारद विषुवद्दिन से आरंभ हुई। ये दोनों प्रकार की गणनाएँ वैदिक ग्रंथों में पाई जाती हैं। वैदिक काल में कभी वासंत विषुवद्दिन मृगशिरा नक्षत्र में भी पड़ता था। इसे पंडित बाल गंगाधर तिलक ने ऋग्वेद से अनेक प्रमाण देकर सिद्ध किया है। कुछ लोगों ने निश्चित किया है कि वासंत विषुवद्दिन की यह स्थिति ईसा से 4000 वर्ष पहले थी। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि ईसा से पाँच-छह हजार वर्ष पहले हिंदुओं को नक्षत्र अयन आदि का ज्ञान था और वे यज्ञों के लिए पत्रा बनाते थे। शारद वर्ष के प्रथम मास का नाम अग्रहायण था जिसकी पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में पड़ती थी। इसी से कृष्ण ने कहा है कि 'महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ'। प्राचीन हिंदुओं ने ध्रुव का पता भी अत्यंत प्राचीन काल में लगाया था। अयन चलन का सिद्धांत भारतीय ज्योतिषियों ने किसी दूसरे देश से नहीं लिया; क्योंकि इसके संबंध में जब कि यूरोप में विवाद था, उसके सात आठ सौ वर्ष पहले ही भारतवासियों ने इसकी गति आदि का निरूपण किया था। वराहमिहिर के समय में ज्योतिष के संबंध में पाँच प्रकार के सिद्धांत इस देश में प्रचलित थे—सौर, पैतामह, वासिष्ठ, पौलिश ओर रोमक। सौर सिद्धांत संबंधी सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ किसी और प्राचीन ग्रंथ के आधार पर प्रणीत जान पड़ता है। वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त दोनों ने इस ग्रंथ से सहायता ली है। इन सिद्धांत ग्रंथों में ग्रहों के भुजांश, स्थान, युति, उदय, अस्त आदि जानने की क्रियाएँ सविस्तर दी गई हैं। अक्षांश और देशातंर का भी विचार है। पूर्व काल में देशांतर लंका या उज्जयिनी से लिया जाता था। भारतीय ज्योतिषी गणना के लिए पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे। इससे ग्रहों की कक्षा आदि के संबंध में उनकी और आज की गणना में कुछ अंतर पड़ता है।

  • ज्योतिष के आधार पर मनुष्यों आदि पर होने वाले शुभ-अशुभ प्रभावों का अध्ययन करने वाला शास्त्र

    विशेष
    . आजकल लोक-व्यवहार में उक्त विद्या या शास्त्र का वह पक्ष या विभाग जिसमें इस बात का विचार होता है कि इस निवासियों, प्रदेशों आदि पर हमारे सौर जगत् के भिन्न-भिन्न ग्रहों, नक्षत्रों, राशियों आदि की स्थितियों पर कैसे-कैसे भौतिक प्रभाव पड़ते हैं, इसी आधार पर अनेक प्रकार के भविष्य कथन भी होते हैं और अनेक प्रकार के कार्यों के लिए शुभाशुभ मुहूर्त या समय भी बतलाये जाते हैं।

  • प्राचीन काल में अस्त्रों आदि का एक प्रकार का मारक या रोक जिससे शत्रुओं के चलाए हुए अस्त्र निष्फल किए जाते थे

    विशेष
    . इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में हैं।

ज्योतिष के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

ज्योतिष के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

ज्योतिष के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ज्योतिष विद्या

ज्योतिष के मैथिली अर्थ

ज्यौतिष

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ग्रह-नक्षत्र आदि की विद्या

Noun, Masculine

  • astrology, astronomy

अन्य भारतीय भाषाओं में ज्योतिष के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

जोतिश - ਜੋਤਿਸ਼

गुजराती अर्थ :

ज्योतिष - જ્યોતિષ

उर्दू अर्थ :

नुजूमी - نجومی‏، منجم

कोंकणी अर्थ :

ज्योतीश

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