नौसादर

नौसादर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

नौसादर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एकतीक्ष्ण झालदार क्षार या नमक जो दो वायव्य द्रव्यों के योग से बनता है

    विशेष
    . यह क्षार वायव्य रुप में हवा में अल्प मात्रा मे मिला रहता है और जंतुओं के शरीर के सड़ने गलने से इकठ्ठा होता है । सींग, खुर, हड्डी, बाल आदि का भबके में अर्क खीचकर यह अकसर निकाला जाता है । गैस के कारखाने में पत्थर के कोयले को भबके पर चढाने से जो एक प्रकार का पानी सा पदार्थ छुटता है, आजकल बहूत सा नौसादर उसी से निकाला जाता है । पहले लोग ईंट के पजावों से भी, जिनमें मिट्टी के साथ कुछ जंतुओं के अंग भी मिलकर जलते थे, यह क्षार निकलते थे । नौसादर औषध तथा कलाकौशल के व्यवहार में आता है ।

नौसादर के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एकतीक्ष्ण क्षार या नमक जो सींग हड्डी खुर वाल आदि का भभके से अर्क खीचकर निकाला जाता है

नौसादर के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का क्षार जो प्रायः जानवरों के मल मूत्र से तैयार किया जाता है

नौसादर के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • एक प्रकार का क्षार जो प्रायः जानवरों के मलमूत्र से तैयार किया जाता है

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