udghaatak meaning in braj

उद्घातक

उद्घातक के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

उद्घातक के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • धक्का देने वाला, आरंभकर्ता

उद्घातक के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • धक्का मारने वाला, ठोकर लगाने वाला
  • आरंभकर्ता

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नाटक में प्रस्तावना का एक भेद

    विशेष
    . इसमें सूत्रधार और नटी आदि की कोई बात सुनकर उसका अर्थ लगाता हुआ कोई पात्र प्रवेश करता है या नेपथ्य से कुछ कहता है। जैसे- सूत्रधार- 'प्यारी, मैंने ज्योतिषशास्त्र के चौंसठों अंगों में बड़ा परिश्रम किया है। जो-जो, रसोई तो होने दो।' पर आज ग्रहण है या तो किसी ने तुम्हें धोखा ही दिया है क्योंकि 'चंद्रबिंब' पूर न भए क्रूर केतु हठ दीप। वल सों करिहै ग्रास कह। (नेपथ्य में) हैं मेरे जीते चंद्र को कौन वल से ग्रास कर सकता? सूत्र॰- जेहि बुध रच्छत 'आप'। भारतेंदु ग्रं॰, भाग 1, पृ॰ 138। यहाँ सूत्रधार ने तो ग्रहण का विषय कहा था किंतु चाणक्य ने 'चंद्र' शब्द का अर्थ चंद्रगुप्त प्रकट करने प्रवेश करना चाहा, इसी से उद्घातक प्रस्तुत हुआ।

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