- मुखपृष्ठ
- परिचय
- संपर्क
- ब्लॉग
- संदर्भ-ग्रंथ
क्विक लिंक्स
- हिन्दवी
- रेख़्ता
- रेख़्ता डिक्शनरी
- रेख़्ता लर्निंग
हमारी वेबसाइट्स
मर्यादा के पर्यायवाची शब्द
-
अंत
वह स्थान जहाँ से किसी वस्तु का अंत हो, सामाप्ति, आख़िर, अवसान, इति
-
आन
शान, मर्यादा, दूसरा
-
इज़्ज़त
सम्मान
-
उपाधि
पदवी
-
किनारा
किनारा
-
चरमावस्था
वह अंतिम सीमा जहाँ तक कोई बात आदि हो या पहुँच सकती हो
-
चलन
गति, भ्रमण
-
टेक
आश्रय, सहारा, किसी वस्तु को गिरने से बचाने के लिए उस पर टिकाया गया पाया या लकड़ी का डंडा
-
ठसक
झरी-फर्र
-
तट
नदी
-
त्रपा
लाज
-
दर्जा
स्थान, पद
-
दस्तूर
कायदा, रिवाज
-
नियम
विधि या निश्चय के अनुकूल प्रातिबंध, परिमिति, रोक, पाबंदी, नियंत्रण
-
पत
पति, खसम, खाविंद
-
पद
पैर, शब्द, प्रदशे, व्यवसाय, स्थान, चिन्ह, पद्य का चरण या किसी छन्द का चौथा भाग, मोक्ष, गीत, भजन
-
पदवी
अधिकार, उपाधि, प्रतिष्ठा सूचक पद, खिताब, पद।
-
पराकाष्ठा
चरम सीमा, सीमांत, हद, अंत
-
प्रतिज्ञा
भविष्य में कोई कर्तव्य पालन करने, कोई काम करने या न करने आदि के संबंद में दृढ़ निश्चय, वह दृढ़तापूर्ण कथन या विचार जिसके अनुसार कोई कार्य करने या न करने का दृढ़ संकल्प हो, किसी बात को अवश्य करने या कभी न करने के संबंध में वचन देना, प्रण, जैसे— भीष्म ने प्रतिज्ञा की थी कि मैं आजन्म विवाह न करूँगा
-
प्रतिबंध
रोक, रुकवट, अटकाव
-
प्रतिष्ठा
स्थापना, रखा जाना
-
प्रथा
परम्परागत व्यवहार, रूढ़ि, परिपाटी
-
बड़ाई
बड़े होने की अवस्था या भाव, बड़ापन
-
मान
आदर
-
रीति
ढँङ्ग , तरीक़ा, प्रकार
-
रेखा
लकीर
-
लकीर
कलम आदि के द्वारा अथवा और किसी प्रकार बनी हुई वह सीधी आकृति जो बहुत दूर तक एक ही सीध में चली गई हो , रेखा , खत
-
लज्जा
कुकर्म कएला पर अपनामे हीनताक अनुभव
-
लाज
लज्जा , शर्म , हया , क्रि॰ प्र॰—आना , —करना
-
लीक
दे. लीख
-
शर्म
लज्जा, हया, गै़रत
-
शान
तड़क भड़क , ठाट बाट , सजावट , जैसे,—कल बड़ी शान से सवारी निकली थी
-
शिष्टाचार
शिष्टताक हेतु अपेक्षित औपचारिकता
-
सीमा
किसी प्रदेश या वस्तु के विस्तार का अन्तिम स्थान स्थिति
-
स्थान
ठहराव, टिकाव, स्थिति
-
हद
डरपोक, भीरु, भयभीत; तुरत डरने या घबराने वाला
-
हया
अनुचित या अनैतिक काम करने से रोकने वाली लज्जा, व्रीड़ा, लज्जा, लाज, शर्म
-
ही
एक अव्यय जिसका व्यवहार जोर देने के लिये या निश्चय, अनन्यता, अल्पता, परिमिति तथा स्वीकृति आदि सूचित करने के लिये होता है, जैसे,— (क) आज हम रुपया ले ही लेंगे, (ख) वह गोपाल ही का काम है, (ग) मेरे पास दस ही रुपए हैं, (घ) अभी यह प्रयाग ही तक पहुँचा होगा, (च) अच्छा भाई हम न जायँगे, गोपाल ही जायँ, इसके अतिरिक्त और प्रकार के भी प्रयोग इस शब्द के प्राप्त होते हैं, कभी इस शब्द से यह ध्वनि निकलती है कि 'औरों की बात जाने दीजिए', जैसे,—तुम्हीं बताओ इसमें हमारा क्या दोष ?
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2025 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा